Tuesday, August 21, 2007

"मीनाक्षीजी,आपकी रचनाओंमे इतना दर्द क्यों है?आप इंसानी जज्बात की गहराईयों तक इतनी सहजता से कैसे पोहोंच जाती है?" मेरे वाचक चहेते मुझसे अक्सर सवाल किया करते और मैं मुस्कुराकर टाल जाती। एक असीम दर्द की अनुभूति जो एक एक कलाकृति बनकर उभरती रही,उसका थाह भला कब कौन ले सकता था! अपनी काव्य रचनाओं के रुप मे बह निकले जज्बात मुझे लोगोंकी निगाहों मे प्रतिभावान बाना जाते। कई पुरस्कृत संग्रहों ने मुझे प्रतिभा की ओर पोहोचा दिया था।

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