Wednesday, December 3, 2008

ये जज़्बा सलामत रहे !

इस वक़्त मुंबई के गेटवे ऑफ़ इंडिया पार उमड़ा हुआ जनसागर, टीवी पे देख रही हूँ...मन भर आया है...सलामत रहे ये जज़्बा...सलामत रहे मेरा देश...! कहीं ये बात सिर्फ़ आयी गयी न हो जाए..लोग बोहोत जल्दी हर बात भूल जाते हैं....डरती हूँ, कहीं ऐसा न हो...! हमें अब हमारा जोश, हमारी दिलेरी हमारी एकता हर हालमे बनाये रखनी है...आज हमारी रखवाली हमही कर सकते हैं...हमारे चुने गए नेतागण किसी काबिल नही...जबकि येभी सच है की उनका निर्माण किसी प्रयोगशालामे नही हुआ...ये हमारीही माँ बेहनोंके जाये हैं....!तो फिर हम कहाँ चूक गए...चूक रहे हैं ? क्या हमारे परिवारोंमे देशभक्ती के संस्कार नही होते ? क्या हमारी शिक्षा प्रणाली हमारे बच्चों को अच्छे नागरिकत्व की शिक्षा नही देती ? क्या सिर्फ़ इतिहास भूगोल, गणित आदिकी शिक्षा लेके हम अपने आपको शिक्षित कहलाने लगते हैं??

मै अपनी श्रंखला"......एक......दुविधा ", बंद नही करनेवाली, शायद थोड़े धीमी गतीसे आगे बढे। उसके लिखनेके पीछे एक निश्चित मक़सद था....एक भारतीय नारीके प्रति उसके परिवारका, विशेषतः, उसके पतीका दृष्टिकोण...न की मेरा दुखडा रोना....वो तो उस कहानीका एक हिस्सा बनके उभर आया...पाठक सवाल पूछते गए और ये श्रंखला आकार लेती गई।
यही दृष्टिकोण , जब मै अपनी डॉक्युमेंटरी, जो पूरी तरहसे मेरे देशवासियों को समर्पित होगी , बनाने जा रही हूँ, मेरे आड़े आ रहा है...! हैरान हूँ कि जिस व्यक्तीने अपने ३५ साल पोलिस के मेह्कमेमे गुज़ारे, उस मेह्कमेके सवालोंको लेके ही ये डॉक्युमेंटरी बनेगी...उसमे, जातीयवाद, आतंकवाद और सुरक्षा करमी, जिनके हाथ कानून ने किसतरह बाँध रखे हैं, इन सभी मुद्दोकोका विश्लेषण होगा, और देशके एहम व्याक्तियोंके इंटरव्यू लिए जायेंगे...जानकारोंका इन मुद्दोंको लेके क्या कहना है, जो इन मुद्दोंसे जुड़े रहे हैं, वो इस समय क्या कहना चाहते हैं....ये सब का जायजा लिया जाएगा...ये केवल भावनात्मक खेल नही है...एक अभ्यासपूर्ण, लेकिन लोगोंको गहरायीतक सोचनेको मजबूर करनेवाली, झकझोर के रखनेवाली पेशकश होगी। मुझे ज़बरदस्त मेहनत करनी होगी...हर ओरसे सहायताकी दरकार कर रही हूँ...उम्मीद रख रही हूँ...उम्मीद्से बढ़के पा रही हूँ...लेकिन अफ़सोस ! इसी मेहेकमेसे निवृत्त हुए मेरे पतीसे, जो ख़ुद इन शहीदोंको खोके दुखी हैं, मदद्की उम्मीद किसीभी हक़्से नही रख सकती ! दे दी तो एहसान समझना होगा वरना, वे अपनेआपको दुर्लक्षित महसूस करते हैं ! मेरा प्रथम कर्तव्य केवल उनके प्रती होना चाहिए, ये बात मुझे पलभर के लिएभी भूलने नही दी जाती.....खैर...इसी दृष्टीकोन को मै अपनी मलिका मे उजागर कर रही हूँ...ओर इस दृष्टिकोण का असर बच्चों पे होता है, इसलिए इसे उजागर करना ज़रूरी हो गया है...ये मिसालभी मैंने बड़ी सोंच समझके दी है, कि ऐसे गंभीर हालातमे भी एक औरत अगर अपने देशवासियोंके प्रती, पारिवारिक ज़िम्मेदारियाँ पूर्णतया निभाते हुएभी, अपना कर्तव्य निभाना चाहे तो कितनी कठिनाई से उसे गुज़रना पड़ता है, एक अपराधबोध के तले दबके काम करना पड़ता है....कितनी अफ़सोस की बात है...! न जाने ऐसी कितनी महिलाएँ होंगी जो दबके रह जाती होंगी !! उन्हें एक प्रेरक तरीक़ेसे साहस दिलाना चाहती हूँ...!उठो, कि और कोई नही तो मै हूँ ! मै हूँ ना...! आओ, मेरे साथ हाथ मिला सकती हो तो मिलाओ....एक ज्योतसे दूसरी जलाओ...शायद अनंत ज्योतियोंकी एक श्रृंखला हम बना पायें.....! नाउम्मीद ना हो...आज नही तो कल, हमारी दख़ल हमारे परिवारोंको लेनीही पड़ेगी ! हमें येभी ज़िम्मेदारी निभानी है ! एक जागरूक माँ से बढ़के कौन अपने बच्चों को सही राह दिखा सकती है? कोई नही...!
जब सारे देशका प्रतिनिधित्व मुम्बई कर रही है, निर्भयतासे, और वो तीनो ठाकरे अपनी "सेना" के साथ किसी दड्बेमे घुसे हुए हैं, मेरी बहनों, तुम उठो...उठो कि हमारे बच्चों को एक दिशा दिखानी है...कहीँ वो फिर एकबार भटक ना जायें....उन्हें धोकेमे डालके कोई ख़ुद गर्ज़ भटका ना दे ...हमें सतर्क रहना है...हमारे तिरंगेको आकाशमे गाडे रखना है.....वरना ये बारूद्के ढेर पे बैठी हुई दुनिया, बमोंके धमाकोंसे हमें डराती हुई दुनिया, हमारे हर शहीद के बलिदानको बेकार बना सकती है, हर बलिदान ज़ाया जा सकता है....गांधी के पहलेसे लेके आजतक का हर बलिदान निरर्थक हो जाएगा...वो माँ यें, वो वीरांगनाएँ, उनके भाई, बेहेन सब निराश हो तकते रह जायेंगे और दरिन्दे आतंक की आड्मे हमें निगल जायेंगे...!

21 comments:

Amit K Sagar said...

बहुत ही अच्छी पोस्ट. सटीक विचार.
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कुछ न कुछ कहीं-न-कहीं कमी के कारण हम मात खा जाते हैं अक्सर ही बुरे कार्य करने वालों से. पर इसका मतलब ये भी कतई नहीं कि हम कुछ कर नहीं सकते. जरूरत है हमें सबक सीख आगे किसी भी कमी की गुन्ज़ईयाश न रखनी की. हिन्दुस्तान की अखण्डता बड़ी प्रबल है. इसमें कोई संदेह नहीं. पर तरह-तरह की राजनीति ने इसे बाँट दिया है इसमें कोई दोराय नहीं. ज़रूरत हमेशा ही रही है और इस वक्त भी कि हम सब मिलकर बुराई के ख़िलाफ़ खड़े रहें. निश्चित ही हमें सफलता मिलेगी...हमार तंत्र को चलाने वालों को जिस तरह हम वोट देके खडा कर देते हैं मत भूलो उन्हें गिरा भी सकते हैं, अगर ये वाज नहीं आयें कई बार के बाद भी. जब सरकार राज़ काम न करे तो जनता राज होना ही चाहिए बिना किसी सोचा-विचारी के.

आओ हम आतंकवाद मिटायें, ये मुहिम जारी रखेंगे...जब तक पूरी तरह सफल न हो जाएँ.
जय हिंद
अमित के. सागर

!!अक्षय-मन!! said...

bulandiyo ki had tak jaaoge jo bhi kar rahe desh ke liye nari samudaay ke liye usse prerna milegi har kisi ko....
jo ummid ki ek nai kiran jagi hai..use sone na dena aapke sath poore deshwasiyon ka pyar hai....
aur jo aapko jante hain khud par garv mhessos karte honge ki aap jaisi bold lady unke sath hai....
aurwo hamesha aapka sath denge....
dil se......

aapka baccha..akshay

mehek said...

ye jazba ekata ka hamesha bana rahe.

shama said...

Jaise, jaise TV pe logon ke sakshatkaar sunti jaa rahee hun, ek halki-si nirasha ho rahi hai...Kyo ab bhi log atankwaadko kewal musalmanose jodte hain ? Kyon nahee kehte ki ye ektaka darshan Bharatwaasiyonka hai, naki Hinduon ka? Kyon Modi jaise wyakteeki barabari Sardar Patel jaiseke saath karte hain ? Modiki mauqaparasti itna sabkuchh honeke baadbhi logonke samajhme nahi aa rahee ? Kahan hai hamare vicharwant ? Ab to aage aayen...ab to logonko sahi disha dikhayen...kya sirf apne drawing room me baithke charcha karenge ? Ya harek apne aapko kisi na kisi jaati, sube ya sectme bandha hua pata hai ? Kahan, hain, kahan hain, jinhen naaz hai Hindpe wo kahan hain ?

नीरज गोस्वामी said...

खुदा आपके इस जज्बे हो हमेशा यूँ ही बनाये रखे...आप लोगों की फ़िक्र मत कीजिये...शमा के जलते ही आंधियां उसे बुझाने की कोशिशों में जुट जाती हैं....आप ने सही कहा है आतंक वादियों का कोई मजहब नहीं होता...उन्हें हिंदू या मुसलमान कहना उस कौम का अपमान है...
नीरज

"अर्श" said...

shama ji aapne bahot hi khub likha hai ...dhero badhai....

dr amit jain said...

और वो तीनो ठाकरे अपनी "सेना" के साथ किसी दड्बेमे घुसे हुए हैं,

हा बिल्कुल सही क्यो की आज कोई गरीब आदमी उत्तर भारत से रलवे मे पपेर देने नही आया , ये कोई रलवे स्टेशन नही जहा तोड़ फोड़ कर अपने को साबित कर लिया , अब कोई मराठी क्यो नही बनता , अब इस मे कोई राजनातिक रंग तो बंनने से रहा , तो चुप हो जाओ , घिन आती है इसे राजनेताओ से ,उप्पर वाले अगर तू कही है तो बचा मेरे देश को पहले असे राजनेताओ से ,फिर आतंकवादियो से ,

विजय तिवारी " किसलय " said...

आज हमारी रखवाली हम ही कर सकते हैं...हमारे चुने गए नेतागण किसी काबिल नही...दुनिया हमारे हर शहीद के बलिदानको बेकार बना सकती है, हर बलिदान जाया जा सकता है...
शमा जी
वाकई आपने अपने आलेख में बिना लाग लपेट के हकीकत का चिट्ठा हमारे सामने रख दिया है, अब हमें ही ख़ुद सोचना है !!!!!!!!!!!

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

bahut sundar zazba

दिनेशराय द्विवेदी said...

तीनों ठाकरे देश की एकता के विरुद्ध एकता के विभाजन का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे कैसे इस वक्त में अपने बिल से बाहर आ सकते थे।

RAJ SINH said...

HINDIYON ME JAB TALAK BAKEE HAI BOO IMAN KEE.......

AISE ME KI, BAHAR DHAMAKE HO RAHE HON AUR KHUD APNE HEE JAJBATON PE LAGAM LAGA RAHE HON, RASHTRA PREM KEE YEH ' SHAMA ' ROSHAN RAKHNA EK MISAL HAI.IS 'SHAMA' KEE DRIDHTA AUR JID KAL ISE EK MASHAAL BANAYEGEE .

YE SAFAR BHEE MUSHKIL, HAI DAGAR,
NA UDAS HO MERE HAMSAFAR....

NA JO AAJ TO BHEE, HO KYOON FIKAR !
NA RUKE YE KARVAN MAGAR..........

TU NAHEEN AKELA NA YE SAFAR .......
HAM SAATH HAIN, SAB SAATH HAIN,
NA UDAS HO MERE HAMSAFAR.....
NA UDAS HO MERE HAM SAFAR !!!

LOG ACHCHE HAIN,
LOG SACHCHE HAIN,
MEREE BAAT KA TOO YAKEEN KAR.....

NA UDAS HO, NA NIRASH HO,
US ' SAMAH' KO DEKH......
SANDESH HAI,
.... JARA TO PADH.
AAGAJ SOORAJ KA HAI PADH !!!!!!!

Neeraj Nayyar said...

really very nice, i agree terrorism se fight ke liye aise he courage ke zarurat hai....

डॉ .अनुराग said...

देश इस वक़्त हताशा दुःख ओर क्रोध से गुजर रहा है ओर कुछ कर गुजरने के जोश से भी......हमारी भी यही दुआ है की ये क्रोध ओर जज्बा कायम रहे

अनुपम अग्रवाल said...

बारूद्के ढेर पे बैठी दुनिया,
बमोंके धमकोंसे डराती दुनिया
शहीद के बलिदानको बना सकती बेकार???
सलामत रहे आजतक का हर बलिदान
निराश हो तकते रह जायें दरिन्दे
सलामत रहे ये जज़्बा...
सलामत रहे मेरा देश...!
सोचनेको मजबूर कर
झकझोर के होगी ज्योति श्रृंखलापेश....

राज भाटिय़ा said...

मै आया बहुत लेट, लेकिन आज आप का यह लेख पढा, आप ने बिलकुल दरुस्त लिखा है, अप के विचार सच मै बहुत उच्च है.
धन्यवाद

shama said...

Mai Raj Singh ji ko tahe dilse shukriya kehna chahungi. Unhon ne pooree tarahse sahayta karneka wadaa kiya hai...tan, man dhanse...mujhe nahee pata ki " Jateeywaad, Aatankwaad aur Surakha Agencies" ko madde nazar rakhke ban ne jaa rahi documentaryko shuru honeme aur poora honeme kitna samay lagega. Jin wyakyonka sakshar lena chahungi, unhen apna samay deneme kab suvidha hogi, in saaree baatonpe kaafee kuchh munhasar rahega. Misaalke taurpe, mai Kiran Bedika sakshatkaar lena chahungi...pehlo to unse apni is yojanake baareme bataneke liye hi wo kab samay de payangi, ye abtak tay nahee. Agar dengi to mujhe uthke sarvpratham Dilli jana hoga. Uske baad agar wo maan jaatee hain to, apnee teamke saath Dilli jaake rehna hoga...sakshatkaar chahe 2/3 mints ka ho, lekin wo jitabhi bolna chahegi, wo audio video record hoga....baadme editing. Unse sakshatkaar main isliye chahti hun ki ve kewal ek kartavyatatpar police afsarhi nahee rahi, balki ek aala samajsewak bhi...ek behtareen insaan, ek uchh koteeki Bharteey. Jinhone Vipashyana saadhana na kewal ki, balki aacharan me utaaree aur Tihar jailke qaidiyonko uska poora laabh karwaya. Dharmki shastrokt paribhasha wo khoob samajhti hain...pracheen Bharteey bhashame "dharma" shabka ullekh, kisi jaati visheshko leke kabhi nahi hua..."dharm" shabdka ullekh, "Nisarg Dharm" se abhiprtet raha. Qudratke qanoon jo duniyame har kiseeke liye samaan hain, wo chahe koyi ho.Ham kahin bhatak gaye aur, aur hamare karm kaandme doobe tathakathit guruon ne hame is shabdko leke aur gumraah kiya. Samay aa gaya hai ki ham is shabdka galat istemaal na karen.
Phir ekbaar harek pathak, dost aur shubhchintak ko sahaytaake liye shat shat dhanyawad dena chahungi.

हरकीरत ' हीर' said...

शमाजी, मेरा नमन है आपको,आपके साहस को बस आगे बढती रहें... आप अपने मकसद में जरूर
सफल होगीं दावा है मेरा...शुभ कामनाएँ...जय हिन्‍द!

विष्णु बैरागी said...

आपकी पोस्‍टों को लेकर कुछ टिप्‍पणियां इधर-उधर पढी थीं किन्‍तु आपके ब्‍लाग पर आज पहुंच पाया ।
आपकी प्रत्‍येक बात सच और जरूरी है ।
विचलित मत होइएगा । अच्‍छे काम में बाधाएं आती हैं, दुर्जन की परीक्षा कोई नहीं लेता । इम्तिहान हमेशा सच को ही देने पडते हैं ।

निर्झर'नीर said...

जब सारे देशका प्रतिनिधित्व मुम्बई कर रही है, निर्भयतासे, और वो तीनो ठाकरे अपनी "सेना" के साथ किसी दड्बेमे घुसे हुए हैं, मेरी बहनों, तुम उठो...उठो कि हमारे बच्चों को एक दिशा दिखानी है...कहीँ वो फिर एकबार भटक ना जायें....उन्हें धोकेमे डालके कोई खुदगर्ज़ भटका ना दे ...हमें सतर्क रहना है...हमारे तिरंगेको आकाशमे गाडे रखना है.....वरना ये बारूद्के ढेर पे बैठी हुई दुनिया, बमोंके धमकोंसे हमें डराती हुई दुनिया हमारे हर शहीद के बलिदानको बेकार बना सकती है, हर बलिदान जाया जा सकता है....गांधी के पहलेसे लेके आजतक का हर बलिदान निरर्थक हो जाएगा...वो माँ यें, वो वीरांगनाएँ, उनके भाई, बेहेन सब निराश हो तकते रह जायेंगे और दरिन्दे आतंक की आड्मे हमें निगल जायेंगे...!

roshani ki kiran hai ye pankti jo har bhatke ko raasta dikhayegi..

NARENDRA SINGH said...

अच्‍छा लिखा है आपने। आपकी शैली बहुत अच्‍छी है। आप ऐसी ही लिखते रहिए। अच्‍छा लगता है पढ़कर।

NARENDRA SINGH said...

अच्‍छा लिखा है आपने। आपकी शैली बहुत अच्‍छी है। आप ऐसे ही लिखते रहिए। अच्‍छा लगता है पढ़कर।