Wednesday, May 30, 2007

कीमत खुशीकी...

हर हंसीकी कीमत
अश्कोंसे चुकायी हमने
पता नही और कितना
कर्ज़ रहा है बाक़ी
आंसू है कि थमते नही!
जिन्हे खोके हम रोये
जिनकी खातिर तनहा हुए
वो कहॉ है येभी
अब हमे खबर नही
हाथ उनके लिए
उठते है अब भी
दुआ दिलसे निकलती
है अब भी उनके लिए!
पलके मून्द्केभी
नींदे है उड़ जाती
वीरान बस्तीमे दिलकी
वो बस्ते है आजभी!
दिलने ऐसे बंद किये
दरवाज़े,कि ना वो है
निकल पाते,नाही,
दूसरा आये कोई
येभी गुंजाईश नही !
हैरत तो ये है,
दूरसेभी हमारी कैसी
ख़ूब खबर लेते है,
हमारी हंसीपे पहेरे
उनके लगे है
आये तो सही होटोंपे
gam
पासहीमे रहेते है
हल्कीसी क्यो ना हो
हर हंसी झपट लेते है!

1 comment:

yarnahoy said...

आपकी कविताएँ बहुत सुन्दर हैं।
आशा है कि आप लिखती रहेंगी ।