Tuesday, July 24, 2007

बोहोत दिनों बाद

बडे दिनों बाद मैंने ब्लॉग मे कुछ लिखने के लिए खोला है। वजह रही कुछ खराब तबियत। वैसे ऐसा नही के मैं इस काबिल ही नही थी कि कुछ लिख ही ना पायूं लेकिन सच तो ये है कि मन भी नही कर रहा था। कभी कम्पूटर खोल के बैठ भी जाती ,तो लगता ये भी कोई लिखने की बात है!इसे पढने मे किसे चाव होगा!!
फिर दिल को गहरायीसे टटोला । क्या आम और क्या खास??ये ज़िन्दगी है। ऐसेही चलेगी !और थोडा गहरा गयी तो उदासी कि वजह भी पता चली। मन ही मन मे जानती थी लेकिन बांटने से सकुचा रही थी। मुझे किसी एक खास व्यक्ती की e-मेल का हरवक्त इंतज़ार रहता था। एक ऐसा दौर था जब हम एकदम से एक दुसरे के करीब आ गए थे और फिर किसी गलत फेहमी के कारण हमारा सम्पर्क छूट गया। मैंने अपनी तरफसे जितनी भी e-मेल भेजी गलत फेहमी दूर करनेके लिए वो लॉट आने लगी। मैं बयाँ नही कर सकती मुझे कितनी तकलीफ होती रही ।
ना मैं किसी को अपना हाल बता सकती थी ना मेरा मुझ पे काबू रहा था। एक अजीब सा आलम था। मानो मुझ से किसी ने बेहद पेश कीमती चीज़ छीन ली हो और मैं आह तक ना कर पा रही हूँ!याद नही इसतरह कितने दिन बीते। नाही मेरे पास उस दोस्त का फ़ोन था और नाही पता!येभी आजकल की नेट्की खासियत है!ये नही कि मैंने पूछा नही था,लेकिन उसने मेरी हालत देख के टाल दिया था। ये सोंचा था कि ऐसी कोई बात मेरी मुश्किलें ना बढ़ा दे। लेकिन मुश्किलें तो अब बढ गयी थी मेरे लिए। मैं बेहद उदास हो गयी । हम दोनेके बीचका सम्पर्क
का सिलसिला नेट की आईडी की सभासद्त्व ता से शुरू हुआ था। अचानक एक दिन पर्सनल मेसेज बॉक्स का मुझे ध्यान आया। मैंने पेहेले तो घुस्सेमे आकर एक पत्र भेजा। जब उसकी याद्से मैं अपना पीछा नही छुडा पायी तो सीधा लिख दिया कि अपने दिलके हाथों मजबूर उसे लिख रही हूँ। फिरभी कोई जवाब नही। एकदिन बड़ा ही रूखा सा जवाब आया,जिसने मुझे रुला दिया। लेकिन मैनेभी अपनी ओरसे यत्न जारी रखा। जबतक की हम दोनोकोही ये महसूस नही हुआ कि इसमे नेट की गलती थी। उसने घुस्सेमे आके एक मेल ज़रूर लिखी थी लेकिन मेरी आईडी ब्लॉक नही की थी। लेकिन अब उसकी व्यस्तता बेहद बढ गयी है और मेरी ज़िंदगी कयी कारणों से ठेहेर सी गयी है। इंतज़ार अब भी मुझे बे सब्रीसे रहता है उसके पत्रोंका । अब भी बोहोत उदास हो जाती हू मेल बॉक्स मे उसका कोई मेल ना देख के। मुझे नही मालूम ये राह मुझे किस दिशामे ले जायेगी। इस रिश्तेका कोई अंजाम भी है या नही। क्या केवल दर्द के अलावा इसमेसे मुझे कुछ हासिल होगा भी या नही!!इतना इसवक्त ज़रूर जानती हूँ कि अबतक ये बेहद पाक साफ है। लेकिन एक अनजान्सी कशिश ज़रूर है इसमे। एक तड़प ज़रूर है जो कयी बार मुझे बेतहाशा रुला देती है। शायद उसके लिए इतनी ना हो। मेरा एक औरत होना इसका कारन हो सकता है। या फिर उसकी मसरूफियत और मेरा उसके बनिस्बत खालीपन!!कोई बता सकता है ये कैसा दौर है??मैंने ऎसी राह्पे कदम बढ़ा दिया है जिसकी कोई मंज़िल नही!लेकिन मुझसे ऐसा क्यो हुआ??

4 comments:

उन्मुक्त said...

ऐसे व्यक्ति क्या इंतजार करना। दुनिया में बहुत और, बहुत अच्छे मिलेंगे। हिन्दी में और भी लिखिये - आप कभी अपने को अकेला नहीं पायेंगी।

shama said...

Mai kshama prarthi hun awwal ke devnagareeme jawab nahee de pa rahee hu yahanpe tatha,Unmuktjee,aapke blogpe,nahee de paa rahee hu!Kaafee koshish kee lekin safal nahee huee!Aap bilkul theek kehte hai!Apne anubhawke taurpe likha...netki duniyame ham agar sambhalke qadam na rakhe to bohot zyada phislan hai!(waise to duniyame har or!)

इरशाद अली said...

dsirइतनी ज्यादा भावूक, इतनी सवेंदनशीलता, तुम यकीन न मानोगी दुनिया को जो मौहब्बत की नेमत अदा कि गई है तो खुदा ने देखा कि तुम्हारी तरह के लोग अभी जिन्दा है इसलिये वो मौहब्बतों के फूल लोगो के दिलों में खिलाता रहा है। कितनी मौहब्बतो भरा दिल है तुम्हारे पास इसकी कदर हर किसी के बस की बात नही तुम भला क्यों नाराज हो। सूरज ने रोज निकलना बन्द नही किया, फूल हमेशा ही अपनी खुशबू देते रहे है, फिर शमा क्यों न महकें। और एक बात और किसी एक के गुनहा की सजा सबको नही मिल सकती। न एक से मौसम हमेशा रहते है न एक से लोग सबको मिलते है। एक बात और ध्यान रखना जैसे तुम किसी को चाह सकती हो ऐसे ही कोई तुम्हे भी चाह सकता है

Anonymous said...

padha . kash aap jaisa chahne vala man kisee kA naseeb ho !

'sahir' ka ek geet hai...

TUJHE AUR KEE TAMANNA , MUJHE TEREE AARZOO HAI.

TERE DIL ME GAM HEE GAM HAI MERE DIL ME TOO HEE TOO HAI.

JO DILON KO CHAIN DE DE VO DUAA KAHAN SE LAOON.

JISE TOO KUBOOL KARLE VO SADAA KAHAN SE LAOON ????????????