"सॉरी,सॉरी,बाई नही आनेवाली है ये सुन के मेरा मूड एकदम खराब हो गया था,"वो धीरेसे बोली और खिंडा हुआ दूध साफ करके फिर बच्चों के कमरे के ओर मुड़ गयी। उसने झटपट बेटे को नहलाया। वो चारही साल का था। उसे तैयार करने मे सहायता करनीही पड़ती थी। तब तक बेटी भी उठ गयी थी। जब बिटिया नहाने गयी तो ये फिर रसोईमे दौड़ी। झटपट पराठे बनाके डिब्बे तैयार कर दिए,वाटर बोतल्स भर दीं तथा झट से कपडे बदले और बच्चों को लेकर स्कूल के बस स्टॉप पे आ गयी। खडे,खडे लडकी की पोनी टेल ठीक की। इतनेमे बस आही गयी। बच्चे बाय कर के चल दिए।
आज कपडे धोना,बरतन मान्झना ,बाथरूम साफ करना आदि सब काम उसीके ज़िम्मे थे। बच्चों के बिस्तर बनाने और पेहेले दिन के मैले कपडे उठाने के लिए जब वो बच्चों के कमरेमे गयी तो देखा,बेटे की टाई बांधना भूल गयी थी। अब उसे बेकार ही रिमार्क मिलेगा ये सोंच के उसे बुरा लगा।
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