Friday, June 1, 2007

राहे..

जिन राहोंकी मंज़िल नही
उनपे कदम रखना नही!
लौट्नेका मौका कभी
ऐसी राहोपे मिलता नही!
गलती राहोकी होती नही,
ये तो बेज़ुबान होती है
वरना चीख के आगाह करती
एक कदमभी आगे बढ़ना नही!

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