कभी शक बेबुनियाद निकले
कभी देखी शकीली बुनियादे
ऐसी जमीं कहॉ है,
जो खिसकी नही पैरोतले !
कभी खिसकी दसवें कदम पे
तो कभी कदम उठाने से पहले ॥
कृपया बिना इजाज़त कविताये कही और प्रकाशित ना करे। ये कानूनन जुर्म है।
लेखिका।
Friday, June 1, 2007
शकीली बुनियादें
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